Saturday, June 1, 2019

आज हे मधुगान गा ले
             कल विरक्त तन ये रहेगा।
           
काल- प्रलय भूतव निर्विण तीव्र बल

बुध्दि - भ्रम ललसा कंजल व्यथावल

रिक्त तन की ये मधुर मन विरक्त रहेगा

           धर्प-धर्ण कूल - कंज सब ढलेगा
         
आज हे मधुगान गा ले
             कल अवरक्त ये तन रहेगा
           
झील - नीर अनल - राख लौह - कनक

तम्र - चर्म कर्म - पंथ चिर-उन्मीलक

जिह-राग रूह-सांस अन्त पात्रक होगा

        शीत मनोहर शुर्मिल वाह बहेगा

आज हे मधुगान गा ले
             कल शसक्त मन ये रहेगा
       

करन कोविंद