आज हे मधुगान गा ले
कल विरक्त तन ये रहेगा।
काल- प्रलय भूतव निर्विण तीव्र बल
बुध्दि - भ्रम ललसा कंजल व्यथावल
रिक्त तन की ये मधुर मन विरक्त रहेगा
धर्प-धर्ण कूल - कंज सब ढलेगा
आज हे मधुगान गा ले
कल अवरक्त ये तन रहेगा
झील - नीर अनल - राख लौह - कनक
तम्र - चर्म कर्म - पंथ चिर-उन्मीलक
जिह-राग रूह-सांस अन्त पात्रक होगा
शीत मनोहर शुर्मिल वाह बहेगा
आज हे मधुगान गा ले
कल शसक्त मन ये रहेगा
कल विरक्त तन ये रहेगा।
काल- प्रलय भूतव निर्विण तीव्र बल
बुध्दि - भ्रम ललसा कंजल व्यथावल
रिक्त तन की ये मधुर मन विरक्त रहेगा
धर्प-धर्ण कूल - कंज सब ढलेगा
आज हे मधुगान गा ले
कल अवरक्त ये तन रहेगा
झील - नीर अनल - राख लौह - कनक
तम्र - चर्म कर्म - पंथ चिर-उन्मीलक
जिह-राग रूह-सांस अन्त पात्रक होगा
शीत मनोहर शुर्मिल वाह बहेगा
आज हे मधुगान गा ले
कल शसक्त मन ये रहेगा
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