Thursday, May 2, 2019

मन्दांकिनी
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चित्रकूट से बहती हो
वीणा निनाद सी छनती हो
रमायण गाथा कहती हो
बर्षो से रहस्य को ढलती हो
जल से विनिमय करती हो

जल मे एक उष्मा संचार है
वही जीवन संसार है
छन छन जल छनकार है
धरा का निर्मल कंचनार है
लोक कथा सा खिल जाता बार बार है
मंदाकिनी मन्द मन्द प्रतिपल
प्रवाह अटल रंग अंचल
सफल छवि रुप कमल

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