Saturday, May 4, 2019

अन्धेरी रात की सड़के
********************

निसठुर धूमिल  धुधलि रात
साय साय तीव्र मुग्ध निनाद!
छिन्न भिन्न रतिका का सुपरभात
विमल इन्दु कि वाद विवाद!

मेघ  छवि सि कडके
अधेरि रात की सडके

निहित राज अनेक अवर्णीय
तिक्ष्ण भूरा प्रकाशहीन!
काला फिका म्लान दृश्य
नेत्र भ्रमण होता  भिन!

देख वसुधा का अन्तस्थल धडके
अधेरि रात कि सडके

अन्धकार युक्त विहवल रजनी
अहवहन झंझरी अविरल प्रखर!
होता विराट घनेरि रात रात्नि
जैसे समझ खडा काला शिखर!

रात्रि  भ्रमण कर मन बहके
अन्धेरि रात का सडके

No comments:

Post a Comment

करन कोविंद