हिन्द गान
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हे हिन्द अनुराग नव भारत राष्ट्र
चिर निधि काव्य सौन्दर्य शास्त्र
सिद्धांत क्रांत नवल हिन्द ब्रम्हांड
प्रचंड वीर हिन्द सावर
गुंजन गौरावित हिन्द राष्ट्र
नव हिन्द राग गाये हिन्दु समाज
वंद सुचि प्रधान हो निधान
चिर समान हो विहान
हिमान्त प्रान्त सरहिन्द राज्य
हे भू नाथ कर हिन्द प्रसार
अम्ल गंग रंग हिन्द धार
मूक नीर अमृत प्रसंग
अखण्य गैरव भारत भाज्य
नव मन्द राग जाये इतर राष्ट्र
नितांत शांत नीत अशोक चक्र
वक्र लक्ष्य मार्गदर्शक लोक
चिन्ह गर्व हिन्द राष्ट्र कमल
भारत हिन्दी हिन्द समाज
नव्य मधु नव भव भू निर्माण
हिन्द गान को हो परिश्राण
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हे हिन्द अनुराग नव भारत राष्ट्र
चिर निधि काव्य सौन्दर्य शास्त्र
सिद्धांत क्रांत नवल हिन्द ब्रम्हांड
प्रचंड वीर हिन्द सावर
गुंजन गौरावित हिन्द राष्ट्र
नव हिन्द राग गाये हिन्दु समाज
वंद सुचि प्रधान हो निधान
चिर समान हो विहान
हिमान्त प्रान्त सरहिन्द राज्य
हे भू नाथ कर हिन्द प्रसार
अम्ल गंग रंग हिन्द धार
मूक नीर अमृत प्रसंग
अखण्य गैरव भारत भाज्य
नव मन्द राग जाये इतर राष्ट्र
नितांत शांत नीत अशोक चक्र
वक्र लक्ष्य मार्गदर्शक लोक
चिन्ह गर्व हिन्द राष्ट्र कमल
भारत हिन्दी हिन्द समाज
नव्य मधु नव भव भू निर्माण
हिन्द गान को हो परिश्राण
बहुत खूब, लाजबाव रचना,जय हिन्द
ReplyDeleteधन्यावाद जी
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